राजस्थान सरकार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड रिसर्च (NIMS) ने क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी नहीं दी थी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ट्रायल के दौरान जबल के लक्षण वाले मरीजों को बुखार हुआ तो उन्हें एलोपैथिक दवाएं दी गई। ट्रायल सिर्फ संक्रमित के संपर्क में आए हल्के लक्ष्मण वाले मरीजों पर किया गया था गंभीर रूप से बीमार मरीजों और सांस लेने में गंभीर परेशानी से गुजर रहे मरीजों पर टेस्ट नहीं किया गया था। बाबा रामदेव ने दावा किया है कि कोविड-19 की दवाओं की इस गीत को दोस्तों के ट्रायल के बाद तैयार किया गया है पहले क्लीनिकल कंट्रोल स्टडी की गई थी और फिर क्लीनिकल कंट्रोल्ड ट्रायल भी किया जा चुका है आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि यह दवाई शत-प्रतिशत कोविड-19 मरीजों को फायदा पहुंचा सकती है जिसमें 3 दिन के अंदर 69 प्रतिशत और 4 दिन के अंदर 100% मरीज ठीक हो गए। यह भी पढ़ें:क्या है अहिर रेजीइमेंट ? क्यों इस पर आवाज उठ रही है?
Covid19 मरीज़ों पर ये लछण बढे
बाबा रामदेव की तरफ से खोजी गई कोरोना मरीज की दवा आ गया है और यह दावा किया जा रहा है कि आप बहुत ही कारगर दवा है जिससे खोलना मरीज अधिकतर ठीक हो जाएंगे। दरअसल बात यह है कि ट्रायल के दौरान मरीजों को एलोपैथिक दवा दी गई बल्कि फाइनल रिपोर्ट आने से पहले ही दवा लांच कर दी गई।